लव मैरिज (Love Marriage) के योग कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों, भावों और उनके आपसी संबंधों से बनते हैं। जब कोई व्यक्ति अपने मन से, यानी प्रेम से विवाह करता है, तो ज्योतिष में उसे "प्रेम विवाह" या "लव मैरिज" कहते हैं।
पंचम भाव प्रेम, रोमांस और आकर्षण का कारक है।
अगर 5वें भाव का स्वामी 1st, 7th, 11th या 10th भाव में हो, या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो जातक को प्रेम संबंध होते हैं।
5वां भाव मजबूत और प्रभावित होता है, तो जातक का झुकाव लव मैरिज की ओर होता है।
7वां भाव विवाह और जीवनसाथी का घर होता है।
जब 5वें और 7वें भाव या उनके स्वामियों में संबंध बनता है (जैसे युति, दृष्टि, राशि परिवर्तन), तो प्रेम विवाह के योग प्रबल होते हैं।
📌 उदाहरण: अगर 5वें भाव का स्वामी 7वें भाव में बैठा हो – तो यह बहुत मजबूत लव मैरिज योग है।
राहु सामाजिक बंधनों को तोड़ता है और जातक को पारंपरिक नियमों से बाहर जाकर प्रेम विवाह की ओर ले जाता है।
शुक्र प्रेम, आकर्षण, सौंदर्य और संबंधों का ग्रह है।
अगर राहु और शुक्र का 5वें या 7वें भाव पर प्रभाव हो, तो जातक को अंतरजातीय विवाह या गुप्त प्रेम संबंध हो सकते हैं।
चंद्रमा मन का ग्रह है। इसका 5वें या 7वें भाव में होना दर्शाता है कि जातक अपने दिल की सुनता है।
अगर चंद्रमा पर शुक्र या राहु की दृष्टि हो, तो प्रेम संबंध और लव मैरिज की संभावनाएँ और भी बढ़ जाती हैं।
जब 11वें भाव का संबंध 5वें और 7वें भाव से होता है, तो जातक अपनी प्रेम कहानी को शादी तक ले जाने में सफल होता है।
| संकेत | विवरण |
|---|---|
| 5वां भाव + 7वां भाव | प्रेम से विवाह |
| शुक्र + राहु | आकर्षण, प्रेम विवाह, समाज विरोधी विवाह |
| चंद्रमा + शुक्र | भावनात्मक प्रेम संबंध |
| मंगल + शुक्र | शारीरिक आकर्षण, गहरी केमिस्ट्री |
| 7वें भाव में राहु या केतु | जीवनसाथी के चयन में परंपरा से हटकर फैसला |
अगर कुंडली में 5वां भाव तो अच्छा है लेकिन 7वां भाव अशुभ है, तो प्रेम विवाह में बाधा आ सकती है (जैसे ब्रेकअप, परिवार की असहमति, या देरी)।
लव मैरिज योग के साथ शुभ दशा और गोचर भी जरूरी हैं ताकि योग फल दे सकें।
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