जाने क्या है अक्षय तृतीय का महत्व और फल ?

जाने क्या है अक्षय तृतीय का महत्व और  फल  ?

🌼 अक्षय तृतीया का महत्व 

अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन अत्यंत पवित्र, शुभ और सर्वसिद्ध मुहूर्त वाला दिन माना जाता है। इसे ऐसा दिन माना जाता है जब कोई भी शुभ कार्य बिना किसी पंचांग या मुहूर्त देखे किया जा सकता है।

 

‘अक्षय’ का अर्थ क्या है?

‘अक्षय’ का अर्थ होता है – जो कभी नष्ट न हो, जो सदा बना रहे। इस दिन किया गया दान, पुण्य, जप, तप, श्राद्ध, या कोई भी धार्मिक कार्य कभी निष्फल नहीं जाता, बल्कि उसका फल अनंत काल तक प्राप्त होता है।

📜 धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ

1. भगवान परशुराम का जन्म

इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। परशुराम को ब्राह्मण योद्धा कहा जाता है, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ शस्त्र उठाया।

2. महाभारत की रचना की शुरुआत

महर्षि वेदव्यास ने इस दिन भगवान गणेश जी को महाभारत की कथा लिखवानी शुरू की थी।

3. गंगा अवतरण

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देव नदी गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था, जो पापों का नाश करने वाली मानी जाती है।

4. द्रौपदी को अक्षय पात्र की प्राप्ति

महाभारत के वनवास काल में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को ऐसा अक्षय पात्र दिया था जिसमें से अन्न कभी समाप्त नहीं होता था। इससे पांडवों की भूख और अतिथियों की सेवा का समाधान हुआ।

5. कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा

इस दिन माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करने से घर में कभी भी धन और समृद्धि की कमी नहीं होती।

6. जैन धर्म में विशेष मान्यता

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष की कठिन तपस्या के बाद इसी दिन गन्ने के रस से पारणा किया था। इसलिए यह दिन त्याग और तपस्या की सिद्धि का प्रतीक है।


🌞 इस दिन क्या करना शुभ माना जाता है?

  1. धार्मिक पूजा-पाठ – विष्णु, लक्ष्मी, परशुराम और कुबेर की पूजा।

  2. सोना, चांदी और अन्य मूल्यवान धातुएं खरीदना – यह समृद्धि और अक्षय धन का प्रतीक माना जाता है।

  3. विवाह या अन्य मांगलिक कार्य – इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ आदि के लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती।

  4. दान-पुण्य करना – अन्न, वस्त्र, जल, छाता, पंखा, चप्पल, पुस्तकें, गाय, आभूषण आदि का दान अत्यंत पुण्यदायी होता है।

  5. व्रत और उपवास – कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और जल, फलाहार पर रहते हैं।


🌾 कृषि और सामाजिक संदर्भ में महत्व

  • ग्रामीण भारत में इस दिन को खेती-बाड़ी और नवीन आरंभ के रूप में देखा जाता है।

  • किसान इसे प्राकृतिक समृद्धि का प्रतीक मानते हैं और नई योजनाओं की शुरुआत करते हैं।


💫 आधुनिक युग में प्रासंगिकता

आज के समय में अक्षय तृतीया सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण त्योहार बन गया है। ज्वेलरी कंपनियाँ, बिज़नेस हाउस, और रियल एस्टेट सेक्टर इस दिन को शुभ मानकर ग्राहकों को आकर्षक ऑफर्स देते हैं।


📖 निष्कर्ष

अक्षय तृतीया केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आस्था, समृद्धि और परंपरा का एक जीवंत प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि सही समय पर किया गया सही कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता – उसका फल "अक्षय" होता है।